जी -7 शिखर सम्मलेन
जी 7 समूह का 45 वॉ शिखर सम्मलेन का आयोजन बियारित्ज फ्रांस में 24 से 26 अगस्त 2019 को किया गया जिसमे विशेष आमंत्रण पर मोदी जी ने भी भाग लिया यह समूह अमेरिका, ब्रिटेन, फ़्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, एवं कनाडा जैसे विकसित देशों का है। विशेष आमंत्रितों को शिखर सम्मलेन के आउटरीच सत्रों में ही भाग लेने की अनुमति थी। भारतीय प्रधानमंत्री श्री मोदीजी को इस शिखर सम्मलेन के Biodiversity, Oceans, Climate Session में भागीदारी हेतु आमंत्रित किया गया था, यह सत्र 26 अगस्त 2019 को संपन्न हुआ था। जी -7 एक अनौपचारिक समूह है, इसका न तो कोई मुख्यालय है तथा न ही कोई चार्टर या सचिवालय है।
जी - 7 का आगामी 46 वॉ शिखर सम्मलेन अगले वर्ष 2020 में अमेरिका में होना है, इसके लिए तिथियाँ अभी निर्धारित नहीं है। अगले शिखर सम्मलेन तक अमेरिका जी -7 अध्यक्ष रहेगा।
जी -7 की मुख्य बाते -
- बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के संरक्षण
- ईरान का परमाणु कार्यक्रम के लिए समूह का मत था कि ईरान की किसी भी स्थिति में परमाणु हथियारों तक पहुंच नहीं होनी चाहिए।
- लीबिया में अशांति के लिए लीबिया में दीर्घकालिक युध्दविराम के पक्ष में जी 7 के नेता रहे।
- यूक्रेन में रुसी सैन्य हस्तक्षेप पर वार्ता।
- हांगकांग में चल रहे प्रदर्शन की स्थिति पर भी 1984 के चीन- ब्रिटिश समझौते को सदस्य देशो ने स्वीकार किया।
जी -7 का इतिहास -
जी - 7 पहले जी -8 के नाम से 2014 तक जाना जाता था, लेकिन 2014 में रूस के जी -8 से हट जाने पर जी - 7 के नाम से जाना जाने लगा।
इस मंच की स्थापना फ़्रांस द्वारा 1975 में समूह -6 के नाम से विश्व के सबसे धनी 6 देश फ़्रांस, सयुक्त राज्य अमरीका, जर्मनी, जापान, इटली और ब्रिटेन ने मिलकर की थी। बाद में कनाडा भी शामिल हो गया जिससे इसका नाम जी -7 कर दिया गया और 1997 में रूस भी शामिल हो गया जिससे इसका नाम जी -8 कर दिया गया। इस समूह के सम्मलेन की मेजबानी हर वर्ष प्रत्येक राष्ट्र को बारी बारी से सौंपी जाती है। इस समूह का प्रथम सम्मलेन 1975 फ़्रांस में आयोजित किया गया था।
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